श्री माधोदास जी मूूंधड़ा

mdm-bright-214x300बीकानेर के स्वनामधन्य सेठ गिरधरदास जी मूंधड़ा एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सूरजदेवी मुंधरा के घर जन्मे श्री माधोदास जी मूंधड़ा कर्मठ, गंभीर, चिंतनपरक, अध्यवसायी, उद्दान्त, उदार, सेवाभावी, और परिष्कृत अभिरुचि से सम्पन्न व्यक्तित्व के धनी थे | श्री माधोदास मूंधड़ा जहां देश-विदेश में विशाल निर्माण कार्यों एवं प्रदूषण निरोधक यंत्रों की स्थापना व अन्यान्य व्यवसायों में रत रहकर कठिन परिश्रम एवं सूझबूझ से देश के अग्रगण्य उद्यमियों में अपना स्थान बनाया वहाँ उन्होंने अपने अर्जित धन का सदुपयोग सामाजिक एवं सांस्कृतिक सेवा के कार्यों में भी उदारतापूर्वक किया|

सन १९५५ में कलकत्ता में आपके द्वारा संस्थापित ‘भारतीय संस्कृति संसद’ आज देश की एक अग्रणी सांस्कृतिक संस्था है जो भारतीय संस्कृति के संरक्षण, संवर्द्धन एवं विस्तरण का महत्वपूर्ण कार्य कर रही है | बीकानेर में उन्होंने अपनी माता श्रीमती सूरजदेवी मूंधड़ा के नाम से सेटेलाइट चिकित्सालय का निर्माण व विस्तार करवाया जहाँ आज प्रतिदिन सैंकड़ो रोगी अपनी चिकित्सा करवाकर लाभान्वित होते हैं | उन्होंने अपने श्री चेरिटीबल ट्रस्ट कलकत्ता के संचालन में अपने पिता श्री गिरधरदास मूंधड़ा के नाम से बीकानेर में सेठ गिरधरदास मूंधड़ा शिक्षण संस्थान की स्थापना की जिसके अन्तर्गत गिरधरदास मूंधड़ा रात्रि विद्यालय तथा गिरधरदास मूंधड़ा बाल भारती माध्यमिक विद्यालय जैसी सेवाभावी शैक्षणिक संस्थाएं तथा भारतीय विद्या मंदिर शोध प्रतिष्ठान जैसी राजस्थान की अग्रगण्य शोध संस्था संचालित हैं, जिनके बे अध्यक्ष थे | इनके आलावा समाजसेवा, सामाजिक उत्थान, शिक्षा, साहित्य, संस्कृति, धर्म दर्शन इत्यादि से सम्बंधित बीकानेर की अन्यान्य संस्थाएँ भी श्री मूंधड़ा से सहयोग प्राप्त करती थी | बे देश में कही भी सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक उत्थान के कार्यों में हर संभव सहयोग देने के लिए तत्पर रहते थे | बीकानेर के प्रति उनके मन में बड़ा लगाव था, इसी से वे बीकानेर की प्रगति और इसका नाम ऊँचा करने वाले किसी भी कार्य में उदारतापूर्वक सहयोग करते थे | बीकानेर – क्षेत्र में अकाल के समय स्वयं द्वारा स्थापित प्रन्यासों के माध्यम से उनके द्वारा गोधन की रक्षा व अकाल पीड़ितों को राहत पहुँचाने के कार्यों में किए गए योगदान एवं पीड़ित परिवारों को दी गई गुप्त सहायता जैसे उनके कार्य सदा स्मरणीय रहेंगे |

श्री माधोदास जी मुंधरा एक सफल उद्योगपति एवं व्यवसायी तथा उदारमना दानदाता के साथ-साथ संगीत साधक, कला-संवर्द्धक, चिंतक : विचारक और लेखक भी थे | उनके द्वारा लिखे गए ग्रंथ ‘रसो वै स:’ तथा ‘भारतीय तत्व चिंतन एक में अनेक’ विद्वानों और जनसाधारण में खूब समादृत हुए |