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26 जनवरी वह ऐतिहासिक दिन है जिस दिन हमें अपना संविधान मिला, हमें आजादी तो 15 अगस्त 1947 को ही मिल गई थी लेकिन उसके बाद भी हमारा देश अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानून भारत सरकार अधिनियम {1935 }  के तहत शासित होता रहा। 26 जनवरी 1950 को भारत सरकार अधिनियम {1935 }  को हटा कर देश में हमारे अपने संविधान को लागू किया गया। भारत पूर्ण गणतंत्रिक देश बना। भारत में कानून का राज कायम हुआ। देश की जनता को मौलिक अधिकार मिले।  इसलिए हम इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।

 देश के आजाद होने के बाद अपना संविधान निर्मित करने के लिए संविधान सभा का गठन किया गया ! भारत के सभी राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को इस सभा का सदस्य बनाया गया । डॉ० भीमराव आंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि इस सभा के प्रमुख सदस्य थे। संविधान सभा में कुल 22 समितियां थी। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण थी प्रारूप समिति । प्रारूप समिति का कार्य था संपूर्ण ‘संविधान लिखना।  डॉ० भीमराव आंबेडकर को  प्रारूप समिति  का अध्यक्ष बनाया गया । संविधान सभा ने 9 दिसम्बर 1947 से अपना कार्य आरम्भ किया। संविधान सभा ने कुल 114 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी। संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में भारतीय संविधान का निर्माण कर 26 नवम्बर1949 को  संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंप दिया ।  इसलिए 26 नवम्बर  देश में संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित प्रतियों पर हस्ताक्षर किये। इसके दो दिन बाद  26 जनवरी को देश में हमारा अपना लागू हो गया।

संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी का दिन ही चुना गया। दिसंबर 1929 में लाहौर में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। इस अधिवेशन में एक प्रस्‍ताव पास कर अंग्रेजी  हुकूमत से 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन स्‍टेटस देने की मांग की गई प्रस्‍ताव में कहा गया कि यदि डोमिनियन स्‍टेटस नहीं दिया गया तो भारत खुद को पूरी तरह से स्वतंत्र घोषित कर देगा। अंग्रेज सरकार ने इस प्रस्‍ताव पर कोई कार्रवाई नहीं की। इस पर कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा कर सक्रिय आंदोलन शुरू किया। इसी दिन जवाहर लाल नेहरु ने लाहौर में रावी नदी के किनारे तिरंगा फहराया। उस दिन से 1947 में देश के आजाद होने तक 26 जनवरी के दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा। देश के आजाद होने के बाद 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकार किया गया। पूर्ण स्‍वराज के निश्‍चय की घोषणा की तिथि को महत्‍व देने के लिए ही फिर 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ और इस दिन को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाने लगा।

गणतंत्र दिवस समारोह पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजधानी दिल्‍ली में आयोजित समारोह में भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रध्वज फहराते हैं और राष्ट्रगान गाया जाता है। इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक  भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। इस परेड में भारतीय सेना के तीनों अंगों के  रेजिमेंट भाग लेते हैं। देश के सभी हिस्सों से राष्ट्रीय कडेट कोर व विभिन्न विद्यालयों के बच्चे इस समारोह में भाग लेते हैं। परेड में विभिन्न राज्यों की प्रदर्शनी भी होती हैं, प्रदर्शनी में हर राज्य की सांस्‍कृतिक विविधता को प्रस्तुत किया जाता है। परेड प्रारंभ करते हुए प्रधानमंत्री  देश की  आजादी की लडाई और देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए बलिदान देने वाले शहीदों के स्‍मारक अमर जवान ज्योति  पर पुष्प अर्पित करते हैं, शहीद सैनिकों की स्मृति में दो मिनट मौन रखा जाता है। इसके बाद प्रधानमंत्री, अन्य व्यक्तियों के साथ राजपथ पर स्थित मंच तक आते हैं, राष्ट्रपति बाद में मुख्य अतिथि के साथ आते हैं।

गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

गणतंत्र दिवस समारोह समापन तीसरे दिन 29 जनवरी को धूमधाम से किया जाता है। जिसे बीटिंग रीट्रीट कहा जाता है।यह समारोह राष्ट्रपति भवन के पास मनाया जाता है। राष्ट्रपति इस समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होते हैं जिन्हें तीनों सेनाओं के प्रमुख सलामी देते हैं।

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