स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद बीकानेर में शिक्षा क्षेत्र में मोंटेसरी उपकरणों व पाठ्यम एवं आधुनिक तथा मनोवैज्ञानिक शिक्षा पद्धति के माध्यम से बाल शिक्षण संस्थान की आवश्यकता अनुभव हुई | उस समय एक मात्र ऐसी राजकीय बाल शिक्षण संस्था ‘गंगा बाल विद्यालय’ थी, जिसमें केवल उच्च संभ्रांत परिवारों के विद्यार्थी ही प्रवेश पा सकते थे | भारतीय विद्या मंदिर के सहयोग से १५ अगस्त सन १९४९ को प्रथम गैर-सरकारी बाल शिक्षण संस्था के रूप में राजस्थान बाल भारती की स्थापना हुई| संस्था ने श्री गिरधरदास जी मूूंधड़ा एवं श्री मदनगोपाल जी दम्मानी के मंत्रित्वकाल व श्री शम्भुदयाल सक्सेना के मार्गदर्शन में अभूतपूर्व उन्नति की | संगठनात्मक ढांचे में परिवर्तन होने से जब पूर्व संचालक संस्था में नहीं रहे तो उसकी हालत दयनीय हो गई | तत्कालीन प्रवन्धकों एवं शिक्षा निरीक्षक के आग्रह एवं श्री आनन्दराज जी शर्मा के सहयोग तथा श्री रमेश्वरप्रसाद जी पांडिया के द्वारा बीड़ा उठाने पर भारतीय विद्या मंदिर प्रबंध समिति ने सन १९५४ में इसका संचालन संभाला|
![पुराना स्कूल भवन](http://bharatiyavidyamandir.org/wp-content/uploads/2016/03/Old-School-Bldng-300x169.jpg)
सन १९८८ में प्रबंध समिति ने राजस्थान बाल भारती का नाम बदलकर गिरधरदास मूूंधड़ा बाल भारती से संस्थान का संचालन करनेका निर्णय लिया | वर्त्तमान में बाल भारती मोंटेसरी उपकरणों व पाठ्यम के माध्यम से व प्रशिक्षित अध्यापकों द्वारा बाल शिक्षण के प्रायोसों को जारी रखा है| विद्यालय अभअपनी नई ईमारत है जिसमे ६००० से भि अधिक पाठ्य व अन्य पुस्तकों का संग्रह है |
समाज में शिक्षा के प्रचार-प्रसार, विशेष रूप में महिला शिक्षण के प्रति जागरूक प्रबुद्ध जानो के लगन एवं उनके परिश्रम के फलस्वरुप बाल भारती का जन्म हुआ था | लगभग २८००० छात्रों ने इस विद्यालय से शिक्षा प्राप्त किये| ये संस्थान भारत के इतिहास में एक कठिन समय में स्थापित किया गया था जब बाल शिक्षण का प्रचलन नहीं था और एक युवा मुल्क को शिक्षण संस्थाओं की सख्त ज़रुरत थी | बाल भारती ने दो अहम पहलुओं – शिक्षा और अनुशासन पर ध्यान देकर एक मजबूत देश बनाने में महत्वपूर्ण योगदान किया |